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Zindagi Shayari


!!रोज़   उठकर    बयान   देता   है!! 
!!तेरी   खातिर   वो   जान  देता है!! 

!!रोज़ मिलती है दिल को नाकामी!! 
!!रोज़   दिल   इम्तिहान   देता   है!! 

!!खुल्द  लगने  लगी  है  ये दुनियाँ!! 
!!इश्क   इतना   गुमान    देता   है!! 

!! कौन   है   जो  मेरे  तसव्वुर को!! 
!! इतनी   ऊंची   उड़ान   देता   है!! 

!! चाँद   तारे  तो   मैं भी  ले  आऊँ!!   
!!बोल   क्या  आसमान    देता   है!! 

!!अब  ना  देखेगा  तुझको  दीवाना!! 
!!ले    तुझे    इत्मिनान    देता    है!! 

!!अब ना होगी अमीन फिर उल्फत!!
!!ऐक    सय्यद   ज़बान    देता   है!!

BY : Mohammad Ameen Faizawaadi
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Love Shayari


खयालों   में   तुझको   पुकारा  करेगें,
मिले   जीस्त   गर  ये  गुज़ारा  करेगें.

तू चुपके से मिलने चली आ फलक पे,
सितारे    कभी    तो    इशारा   करेगें.

लगेगा  क़मर  भी  फीका  आसमां में,
मुक़ाबिल   तुझे   जब   उतारा  करेगें.

झरोखें   में  आ  दीद  के  हम  बहाने,
यूँ   ही  तेरी  खिड़की  निहारा  करेगें.

खुदी   में   मुझे   देख  यूँ  आईने  में,
हया   से   वो   चैहरा  सँवारा  करेगें.

BY : Mohammad Chand
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Paigaam Shayari


आँख जो उनसे मिलाना रह गया,
बनते-बनते इक़ फ़साना रह गया.

हम चले आये भले परदेश में ,
आशियाँ अपना विराना रह गया.

गिरजा'घर, गुरुद्वारे, और मंदिर गये ,
अब फ़क़त मस्जिद में जाना रह गया.

हाथ तो मिलते मुसलसल ही रहे ,
बस गले से ही लगाना रह गया.

ज़र, जमीं, मजहब में उलझे यूँ सभी ,
जग ये बन के कत्लखाना रह गया.

साथ उसके भीगना बरसात में ,
याद बचपन का जमाना रह गया.

मर गई इंसानियत शाबान अब
बन के इन्सा वहशियाना रह गया

BY : Shaban Ali
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Dard shayari


ना हिस्से में मुसाफिर के कोई दीवार ओ दर आया,
मुकद्दर हिज्र लेकर जब मुखालिफ में उतर आया.

चरागों की मुझे यूँ ही नहीं कारीगरी आई,
जलाया आशियाँ अपना तो हाथों में हुनर आया.

तेरी इस बेरुखी से बस मेरा दिल ही नहीं टूटा,
तेरी इस बेवफाई से कलेजे तक असर आया.

पिला दे तल्खियाँ सारे ज़माने की मुझे साक़ी,
मेरा फिर ज़िंदगी जीने का ये जज़्बा उभर आया.

बना कर अम्न का कासिद जिसे आदम की बस्ती में,
परिंदा मैंने जो भेजा था खूँ में तर ब तर आया.

मुकद्दर हम अमीन अपना किसी दिन आजमाएंगे,
दरख्तों में हमारे सब्र के कितना समर आया.

BY : Mohammad Ameen Faizawaadi
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